Sunday 29 June 2014

छोटा अ से अनार

कल, जब 
एक क्रांतिकारी 
साहित्यकार ने 
ज़िंदगी भर की 
समझ निचोड़ कर 
दुनिया को 
फूंक डालने का 
निमंत्रण लिखा 

तभी, कल, उसी पहर 
एक तोतले बच्चे ने
स्लेट पर खड़िया से
छोटा अ से अनार,
बड़ा आ से आम लिखा

'र' पे बड़ा आ
'ज' में लगाके छोटा उ
'राजु' अपना नाम लिखा !!

हराम

वो सब कि जो हराम है, वो सब कि जो ख़राब है 
मेरे नसीब में तू लिख, वो सब कि जो शराब है 

ये पाक़ साफ़ जो भी है, तेरा है, तू ही रख ज़रा 
मुझे वही अता करो, लबों का जो लबाब है

माचिस

भांति-भांति के लोग भतेरे, 
भांति-भांति की ख्वाहिश 
भांति-भांति बारूद भतेरे, 
एक अकेली माचिस !

Sunday 8 June 2014

चिरपिर

पहले यहाँ पतंगों को, कुछ बच्चे लूटा करते थे
एक कटे तो, उसके पीछे दसियों छूटा करते थे

आज पतंगे बे-वजहा बिजली खम्बों में फंसती हैं
फटी-फटी सी आँखों से न जाने किसको तकती हैं

सालों-साल टंगी रहती हैं, इतनी जिद्दी होती हैं
उस बुढ़िया के जैसे ये, कुछ कहती हैं, न रोती हैं

इसी आरज़ू में चिरपिर, करती हैं, के वो, आएगा
छुटका छुर्री देगा, तिस पर, मझला भाई उड़ाएगा