Friday 21 November 2014

कोई प्यारा सा यूटोपिया !

मत सुना मेरे यार !

क्रान्ति की उबासी
बस्ती-जंगल उदासी
उन्नीस सौ चौरासी 
क्यूँ हुआ प्लासी
रियैलिटी की फांसी
फिलॉसफी की खांसी
मत सुना !

यूँ ही झूठ-मूठ
कोई प्यारा सा
यूटोपिया ही कह दे !

कह दे, कि ये बच्चे
उम्र में कभी बड़े नहीं होंगे
कह दे, कि ये पंछी
किसी बहेलिए से नहीं फंसेगे
कह दे, कि ये जुगनू
कभी अकेले नहीं पड़ेंगे
कह दे, कि ये कनेर
यूँ लावारिस नहीं सड़ेंगे

यार यूँ ही झूठ-मूठ
कह न !
कह !
कि आज भी
लोग-बाग़

क़िताबों में लाल गुलाब रखते हैं
टूटते तारों से आरज़ू करते हैं
चिट्ठियाँ-पोस्टकार्ड लिखते हैं
रातों का आसमान तकते हैं
क्लीशे वाली मुबब्बत करते हैं
बुतों के अलावा भी इबादत करते हैं
कहानियाँ सुनाओ तो सुनते हैं
मरे नहीं हैं, ये ख़्वाब बुनते हैं

तो क्या हुआ कि इनमें से
एक-एक बात झूठ है !
गप्प है !
लफ्फाज़ी है

पर फिर भी
कह दे न !

यूँ कि सुकून से
जिए हुए
बहुत दिन हुए !

Monday 10 November 2014

Kissकी चिट्ठी आई ?

पिया हमें अपने होठों से, लिख दो छोटी चिट्ठी
पोस्ट करो हमरे गालों पर बतियाँ मिट्ठी-मिट्ठी
हाल चाल न कहना-सुनना, नाम-पता न लिखना
होठों का हो लाल लिफ़ाफ़ा, ताम-झाम न करना
तुम ही बनो डाकिया, आकर बाँछो, डाक हमारी
सबको जलने-भुनने देना, कहकर बात कँवारी
ऊँचा - ऊंचा बोल के पढ़ना, पास-पड़ोसी सुन लें
हम भी हों बदनाम, कहानी, वो भी थोड़ी बुन लें
रह जाएं हैरान, भला ये "किस" की चिट्ठी आई?
क्यूँ ये लड़की घूम रही है पगलाई - पगलाई ?

"मेड फॉर ईच अदर"

नहीं !
हम दोनों
"मेड फॉर ईच अदर"
नहीं है !
एक दूजे के लिए
प्रिंस-प्रिंसेस
परफेक्ट-फ्लॉलेस
राजा-रानी
खतम-कहानी
भी नहीं !
हम बस
सवाल-जवाब हैं
मैं एक कठिन सवाल
और तुम
एक आसान जवाब
जैसे नट का जवाब बोल्ट
मिर्च का जवाब शक्कर
साँप का जवाब बीन
मनडे का जवाब फ्राइडे
और
इक्के का जवाब
तुरुप !!