मछलियाँ, पानी से ता-उम्र प्यार करती हैं
ये जानते हुए भी, कि कल जब मछुआरा आएगा
और जाल फेंकेगा,
तो जाल से निकल भागेगा पानी
और पानी के बिना,
तड़पती, बिलखती, दम तोड़ती
पानी की आस में।
मछलियाँ पानी से ता-उम्र प्यार करती हैं
ये जानते हुए भी, कि पानी उनके बिना भी
स्वच्छंद बहता रहेगा,
मछलियों के साथ भी,
और मछलियों के बाद भी।
मछलियाँ फिर भी
ता-उम्र प्यार करती हैं, पानी से
ये जानते हुए भी, कि पानी
मछलियों की लाशों के साथ भी
उतनी ही उमंग से बहता रहेगा।
मछलियाँ फिर भी
ता-उम्र प्यार करती हैं, पानी से
ये जानते हुए भी कि
इतना प्यार जानलेवा होता है।
इस दुनिया को
पानी से ज़्यादा ज़रूरत है
बुद्धू मछलियों की
और बुद्धू मछलियों की तरह
टूट कर किए गए प्यार की।
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