Tuesday 7 March 2023

त्रासदी


वैसे तो दुनिया मे तमाम त्रासदियाँ हुईं 

न जाने कितनी ही स्पीशीज़ लुप्त हो गईं  

कितने ही युद्ध लड़े गए 

मुगल, मंगोल आए, और सब कछ रौंद कर चले भी गए 

लेकिन मेरे जीवन में सबसे बड़ी त्रासदी तब हुई, 

जब मुझे इल्म हुआ कि मैं और तुम सयाने हो गए !!   


जब हमने ये जान लिया कि किताबों मे दबाकर रखे गए 

गौरैया के टूटे, लंगड़े पंखों से  

एक दिन नई गौरैया नही निकल आती 

जब हमने जाना कि आँख से टूटी पलक की काली कतरन 

हथेली पर रखके, छाती भरकर, फूक देने से 

हम तुम हमेशा के लिए एक दूसरे के नही हो जाएँगे  

हमने जाना कि भूख इंसान से पहले 

उसके भीतर प्यार का एक एक कतरा मार देती है 


इससे बड़ी त्रासदी क्या होगी कि एक दिन तुम सयानी हो गई

और तुम्हारी देखा देखी, मैं भी हो गया सयाना 

हमें जादू-वादू बेमानी लगने लगा 

और हम सपने देखने से पहली, हर बार कहने लगे - 

"ऐसा सचमुच मे कहाँ होता है यार"


एक वक्त था जब तुम रोज़ाना, शिमला भाग कर 

वहां किसी खाई में बस जाने का मास्टर प्लान बनाती थी 

और मैं उसके लिए जोड़ता था पचास के सीले हुए नोट   

जब मैं रात-रात जाग कर लिखता था तुम्हारे लिए कविताएं

और एक छोटा सा कमरा, हमें चार बेडरूम किचेन के 

आलीशान घरों से कई गुना बड़ा लगता था 

जब सी-व्यू-अपार्टमेंट, न तुम्हे चाहिए था न और मुझे 

क्योंकि मेरे घर में थी, तुम्हारे आँखों की समूची डल झील 

और तुम्हारे पास था मेरी बाहों भर नीला आकाश 


इतिहास की किताबों मे जब इतिहासकार 

दर्ज़ कर रहे होंगे सभी त्रासदियाँ

क्या कोई दर्ज़ करेगा हमारे सयाने हो जाने की त्रासदी? 


क्या किसी किताब में खून से लिखेंगे ये इतिहासकार?

कि एक तूफ़ान से भी तेज बहने वाली ज़िद्दी लड़की 

सिमटकर बंद हो गई, समझदारी की बौनी डिबिया मे 

और दुनिया को जूते की नोक पर रखने वाला बेखौफ़ लड़का 

'यस सर - यस सर' करके, बाकी की ज़िंदगी 

मिमियाता रहा काँच के खौफनाक दफ्तर में !!