Tuesday 15 July 2014

वेस्टीजियल ऑर्गन

मोहोब्बत, मेरे यार
"वेस्टीजियल ऑर्गन" है
जो है कुव्वत
तो बचा ले
इससे पहले कि, इसे
इवोल्यूशन पचा ले !

Saturday 5 July 2014

मोहोबब्त - मोहोब्बत - टर्र - टर्र

तब जबकि, सब
इंटेलेक्चुअल्स की तरह
क्रान्ति की बातें कर रहे होंगे
हम उस वक़्त,
बेशर्मों की तरह 
मोहोब्बत की बातें जी रहे होंगे
मोहोब्बत जो जितनी इबादत होगी
उतनी ही हवस और वासना भी
हमें इंटेलेक्चुअल नहीं
मेंढक होना पसंद है
जो सावन की हर बारिश से
बेइंतहा 'ठरक' कर
अपने गाल फुला लेते हैं
और तब तक टर्राते रहते हैं
जब तक कि मेंढक मेंढकी
टर्र-टर्र की टॉर्च से
एक दुसरे को, रात के अँधेरे में
ख़ोज नहीं लेते
-
तब जबकि सब,
समाजवादियों की तरह
समाज बदल रहे होंगे
हम उस वक़्त
लिजलिजे, ठरकी, उजड्ड, अनपढ़
बेढंगे मेंढकों की तरह
शोर मचाकर टर्रा रहे होंगे
एक ऐसे सावन के इंतज़ार में
जब रात बादलों से झमाझम !!
इश्क़ की भांग बरसेगी
और दुनिया के सारे मेंढक
अपने अपने पोखर-तलाबों से निकलकर
इन क्रांतिकारियों की दुनिया को
अपनी टर्र-टर्र के शोर से
इस हद तक भर देंगे
कि उनके इंक़लाब के
हर फुसफुसे नारे के 'पतंगे' को
हमारे फूले हुए गालों से निकले
बेढंगे से शोर की 'लम्बी जीभ'
गप्प कर के खा जाएगी
मोहोब्बत मोहोब्बत - टर्र टर्र
इबादत इबादत - टर्र टर्र
इश्क़ इश्क़ टर्र - टर्र
हवस हवस टर्र टर्र