ये निखिल सचान का रफ़ रजिस्टर है....इसमें उस वक़्त की कविताएँ हैं, जब मुझे लिखने का ख़ास सलीका नहीं था और आज की बातें है, जब आज भी मैं सलीका सीख ही रहा हूँ !
काश ता-उम्र सीखता रहूँ और इसी शौक़ में ज़िंदगी गुज़र जाए
पिया न हमको घूरो अइसे, जैसे सीसी टीवी इतना मत इस्कैन करो, शर्मा जाएगी बीवी बड़ी-बड़ी आखें लेकर, दिन रतिया आगे-पीछे फोटोकॉपी करते हो क्या अखियाँ खोले-मीचे !