ये निखिल सचान का रफ़ रजिस्टर है....इसमें उस वक़्त की कविताएँ हैं, जब मुझे लिखने का ख़ास सलीका नहीं था और आज की बातें है, जब आज भी मैं सलीका सीख ही रहा हूँ !
काश ता-उम्र सीखता रहूँ और इसी शौक़ में ज़िंदगी गुज़र जाए
Monday, 2 February 2015
प्लूटो
एक दिन तुम भी हमसे कह देना कि सुनो रे 'प्लूटो'
हम नहीं मानते ये तुम्हारा वज़ूद, अब चलो यहाँ से फूटो !
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