Sunday 1 September 2013

मेरी कविता अश्लील है

मेरी कविता में,

नहीं हैं, 
फिलॉसफी 
ज्ञान, फ़लसफ़ा, दर्शन 
लम्बी-लम्बी पंक्तियाँ
आलोचकों और समीक्षकों की सीख
एब्स्ट्रैक्ट का फूलदान
मुशायरों की लॉबी
ढंग, क़ायदा, कानून
पी.एच.डी., डॉक्टरेट की थीसिस
साहित्य के रहनुमाओं की दाद
अर्ज़, शुक्रिया, इरशाद
व्याकरण, बहर, मात्रा
समाज की चिंता,
जंगल, नहर, खदान
पुरानी कविता का जनाज़ा
और नई कविता का बर्थडे केक
प्रयोगवाद, साम्यवाद, समाजवाद
एजेंडा, मसला, मतला
दावा, मुद्दा, तुर्रा

मेरी कविता 'हैंगओवर' है

क्योंकि वो गोल्ड फ्लेक,
ट्यूबौर्ग, रॉयल स्टैग, ओल्ड मौंक
तुम्हारी ख़ूबसूरती
और तुम्हारे इश्क़ के
नशे से उपजी है
गेंहू, बाजरा और जौ के सड़ने से
पकी 'शराब' की तरह

मेरी कविता अश्लील है

क्योंकि वो आज के
नाज़ुक क्रांतिकारी माहौल में भी
प्यार-मोहोब्बत की बात करती है
छाती के उभार पर ग़ज़ल कहती है
और तुम्हारे बालों के घुँघराले होने पर
सौ करोड़ की जवानी
और जिस्मो-जान छिड़कती है

मेरी कविता बत्तमीज़ है

क्योंकि वो लोगों को
अनशन करने के लिए
सड़कों पर नहीं बुलाती
आन्दोलन का बिगुल नहीं फूंकती
अलबत्ता तुम्हें ही 'ज़ाइटगीस्ट' बताती है

मेरी काविता ब्लाफेमी है, नास्तिक है

क्योंकि वो धर्म को नहीं मानती
मंदिर नहीं जाती
मस्ज़िद नहीं जाती
लोगों को धर्म-निरपेक्षता नहीं सिखाती
उल्टा, तुम्हें और सिर्फ़ तुम्हें
ख़ुदा बताती है
और इश्क़ को बतौर मज़हब
स्थापित करती है

मेरी कविता अनाथ है,

क्योंकि वो इस दुनिया के
किसी बाप के नहीं लिखी गई
बल्कि इस दुनिया के
सबसे छोटे सबसेट
'मैं' और 'तुम' के लिए लिखी गई है
और उसे पढ़ते भी
सिर्फ़ 'तुम' और 'मैं' हैं

मेरी कविता गूंगी है,

क्योंकि उसे सुनने वाले बहरे हैं
एक लम्बे राजनीतिक भाषण में
आई हुई जनता की तरह
जिन्हें 'दस' रूपए देकर
चार घंटे तशरीफ़ रखने को बुलाया है

मेरी कविता अधूरी और लम्बी है,

क्योंकि उसे ये नहीं पता
कि शुरू होने के बाद
कब ख़तम हुआ जाए
ताकि लोगों को उबकाई न आए
और वो मेरी तुम्हारी दिल्लगी को
अश्लीलता न कह दें

लेकिन,

मेरी कविता,
सच्ची है,
क्योंकि मैं
नशे में हूँ !

मेरी कविता,
सबसे सुन्दर है

क्योंकि मेरी कविता में
तुम हो !

मेरी कविता,
जिंदा है

क्योंकि
हर मरे हुए
ज्ञान, घर्म, फिलौस्फी, दर्शन, मज़हब
के इस दौर में

सिर्फ़ तुम जिंदा हो
और तुमने,
मेरी कविता में
जान फूंक दी है .....

3 comments:

  1. Aapki Har Kavita Me EK Nayapan Hai. Aur Is Kavita KE baare me kya kahna...

    मेरी कविता 'हैंगओवर' है

    क्योंकि वो गोल्ड फ्लेक,
    ट्यूबौर्ग, रॉयल स्टैग, ओल्ड मौंक
    तुम्हारी ख़ूबसूरती
    और तुम्हारे इश्क़ के
    नशे से उपजी है
    गेंहू, बाजरा और जौ के सड़ने से
    पकी 'शराब' की तरह

    laajawaab hai...

    Ye pahli Kavita thee aapki jo maine ek Facebook Page Pe Padhi...
    Phir Aapka Naam Google Kiya Aur Namak Sawadanusar Tak Pahuncha...
    Aur Aapki Is Kavita Ko Padhen Ke Baad APke Kahani Sangrah Ko Padhen Ki Iksha Jagruk Huyi To Aapka Kitab Order Kar Liyaa....

    Aur Antat Aapke Blog Tak Pahuncha....

    Behad Umdaa Likhte hain Aap :)

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  2. It is so nice, so alive, I can see myself in it

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  3. Nikhil ji aaj ghoomte ghaamte aapke blog par aayi.. aapki kavitaaon mein ek taazgi hai, pravaah hai, saralta hai, aap dil ki baat badi aasaani se kaagaz par utaar dete hain.. aise hi likhte rahiye..

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