Sunday, 18 September 2016

राम आसरे की बेटी

राम आसरे की बेटी
रोज़ सुबह तड़के, उठकर
स्लेट को अपनी फ्रॉक के
कोर से पोछती है
और स्लेट के ऊपर, बीचों-बीच 
चाक से लिखती है 'ॐ'
और नीचे लिखती है पहाड़ा
दो एकम दो, दो दूनी चार का
और 10/10 को गोले में भरकर
ख़ुद ही 'वेरी गुड' लिख देती है

राम आसरे की बेटी
पीले रंग की गेटिस से
सफ़ेद फीते के फूल के साथ
बाँधती है छोटी सी चोटी
और डॉट पेन की स्याही से
सुबह के सूरज को देखकर
लाल रंग की बिंदी लगाती है
और रामआसरे की साइकिल पर
घनंघन घंटी बजाते हुए
बाल विद्यालय में पढ़ने जाती है

राम आसरे की बेटी
वहाँ गाती है पोएम
हिंदी की, अगंरेजी की
बबलू की और डब्लू की
हम्प्टी, डंपटी, बंटी की
हाथी की और चींटी की
थर्स्टी वाले कौए की
दूर गाँव के नौए की
हलवाई के पेठे की
आलू कचालू के बेटे की

राम आसरे की बेटी
वाटर कलर से सीनरी बनाती है
जिसमें वो तिकोने पहाड़ के पीछे
चमकदार सूरज निकाल देती है
और आस पास कौए उड़ा देती है
आसमानी रंग की नदी बहा देती है
और उसमें तैरा देती है तीन चार नाव
बनाती है एक टोपी वाली झोपड़ी
जिसमें एक गोले और तीन चार डंडी से बना
खड़ा दिखता है सरल सा राम आसरे

राम आसरे की बेटी
जब घर में मेहमान आते हैं
तो बिना शर्माए, घबराए
कहती है माई नेम इज़ मीरा आसरे
एंड माय फ़ादर्स नेम इज़ राम आसरे
तो राम आसरे उसके मुह से
अपना नाम सुनकर, ख़ुशी के मारे
रुआसा हो जाता है
और अपनी बेटी को
कन्धों के ऊपर, बिठा कर
मोहल्ले भर में घुमाता फिरता है

राम आसरे की बेटी
राम आसरे के कंधे पर
जब ज़ोर से हँसती हुई
मोहल्ले भर में घूमती है
तो राम आसरे भगवान से,
बार-बार, प्रार्थना करता है,
कि उसको कन्धों में
बस इतनी शक्ति हमेशा रहे,
कि राम आसरे
राम आसरे की बेटी को
राम आसरे के कन्धों पर
हमेशा घुमा सके

Tuesday, 6 September 2016

प्रेम में पड़े लोग

"ज़रा देखो तो. इन्हें.
ये पागल चींटियाँ,
ख़ुद से हज़ार गुना भारी
बोझा ढोती फिरती हैं
दिन रात"

- एक चींटी की ओर
इशारा करते हुए
मैंने कहा.

"प्रेम में पड़े लोग भी
इन जैसे ही होते हैं
अक्सर अपनी धुन में
बे-इन्तहा प्यार ढोते
आ जाते हैं
किसी के पाँव के नीचे"

- पैर बचाते,
मन मसोसते
उसने कहा

Monday, 5 September 2016

टीटू की साइकिल

सेंसेक्स सौ अंक गिर रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
वो उसे उंगली पकड़ के टहलाता है
घर से मैदान, मैदान से घर
साइकिल के गर्भ में घुसकर
कैंची काट, डग भर
घंटी बजा, टननटन
पाकिस्तान भारत पर बम गिरा रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
वो उसे केरियर से धक्का देता है
लंगड़े वाले कुत्ते के पीछे
आँखें खोल, आँखें मीचे
चढ़ाई से ऊपर, ढलान से नीचे
अपनी धुन में गज़ब मगन
चीन नया लड़ाकू जहाज बना रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
वो उसके पैडल पर पाँव रख तैरता है
घंटों एक ही रस्ते पर गोल-गोल
जाने कितनी बार गिरता है
घुटना गया फूट, ये भी नहीं सोचता है
घुटना छोड़ अपनी साइकिल पोछता है
नई सरकार में नया बिल आ रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
अब वो उचक कर गद्दी पर बैठ जाता है
इधर उधर मटकाता हुए कूल्हा
घोड़ी पर जैसे बैठा हो दूल्हा
चौड़ी सी छाती, सीना भी फूला
सरपट रेस लगाता है
भारत ओलम्पिक मैडल पर चिंतन कर रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख गया है
अब वो आसमान से बातें करता है
परिंदों की तरहा, उड़ता है फ़ुर
दिल्ली, बनारस, भटिंडे, कानपुर
हाँकता है जैसे तांगा हुर्र हुर
दूसरी दुनिया में पहुँच जाता है
सीरिया में तख्तापलट हो रहा है
टीटू साइकिल चला रहा है
और साइकिल चलाते चलाते
दूसरी दुनिया पहुँच गया है
दूसरी दुनिया में न आइसिस है
न पाकिस्तान, न चीन
न गिरता है सेंसेक्स
न गिरता है बम
न मिलते हैं मैडल
न पास होते हैं बिल
दूसरी दुनिया में
बस साइकिलें हैं
और टीटू जैसे बहुत सारे बच्चे
जो दिन रात साइकिल चलाते हैं
और अपनी साइकिल में
इस बासी दुनिया से अलग
एक नई प्यारी दुनिया बसाते हैं