Monday 5 September 2016

टीटू की साइकिल

सेंसेक्स सौ अंक गिर रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
वो उसे उंगली पकड़ के टहलाता है
घर से मैदान, मैदान से घर
साइकिल के गर्भ में घुसकर
कैंची काट, डग भर
घंटी बजा, टननटन
पाकिस्तान भारत पर बम गिरा रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
वो उसे केरियर से धक्का देता है
लंगड़े वाले कुत्ते के पीछे
आँखें खोल, आँखें मीचे
चढ़ाई से ऊपर, ढलान से नीचे
अपनी धुन में गज़ब मगन
चीन नया लड़ाकू जहाज बना रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
वो उसके पैडल पर पाँव रख तैरता है
घंटों एक ही रस्ते पर गोल-गोल
जाने कितनी बार गिरता है
घुटना गया फूट, ये भी नहीं सोचता है
घुटना छोड़ अपनी साइकिल पोछता है
नई सरकार में नया बिल आ रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख रहा है
अब वो उचक कर गद्दी पर बैठ जाता है
इधर उधर मटकाता हुए कूल्हा
घोड़ी पर जैसे बैठा हो दूल्हा
चौड़ी सी छाती, सीना भी फूला
सरपट रेस लगाता है
भारत ओलम्पिक मैडल पर चिंतन कर रहा है
टीटू साइकिल चलाना सीख गया है
अब वो आसमान से बातें करता है
परिंदों की तरहा, उड़ता है फ़ुर
दिल्ली, बनारस, भटिंडे, कानपुर
हाँकता है जैसे तांगा हुर्र हुर
दूसरी दुनिया में पहुँच जाता है
सीरिया में तख्तापलट हो रहा है
टीटू साइकिल चला रहा है
और साइकिल चलाते चलाते
दूसरी दुनिया पहुँच गया है
दूसरी दुनिया में न आइसिस है
न पाकिस्तान, न चीन
न गिरता है सेंसेक्स
न गिरता है बम
न मिलते हैं मैडल
न पास होते हैं बिल
दूसरी दुनिया में
बस साइकिलें हैं
और टीटू जैसे बहुत सारे बच्चे
जो दिन रात साइकिल चलाते हैं
और अपनी साइकिल में
इस बासी दुनिया से अलग
एक नई प्यारी दुनिया बसाते हैं

No comments:

Post a Comment