जानती हो तुम?
बम्बई भागता रहता है
हरदम, दर बदर
फिर भी न हाँफता,
ख़ुदा न खाँसता,
दौड़ता रहता है, यहाँ हर रास्ता,
गलियों को चीरकर.
हरदम, दर बदर
फिर भी न हाँफता,
ख़ुदा न खाँसता,
दौड़ता रहता है, यहाँ हर रास्ता,
गलियों को चीरकर.
ट्रेनें छूटती हैं कि जैसे
छूट गई हो तमंचों से गोलियां
या गेंदों के पीछे बच्चे
जो चले जाएँगे फ़लक तक,
ग़र जो रोके नहीं गए, पुकार कर.
छूट गई हो तमंचों से गोलियां
या गेंदों के पीछे बच्चे
जो चले जाएँगे फ़लक तक,
ग़र जो रोके नहीं गए, पुकार कर.
तुम आओगी तो देखना,
कि आदमी, यहाँ यूँ निकल जाता है
आदमी से कंधे रगड़कर, छीलकर
फिर भी कोई पीछे नहीं देखता
बस बुहार देता हैं कन्धा
शर्ट से धूल झाड़ कर.
आदमी से कंधे रगड़कर, छीलकर
फिर भी कोई पीछे नहीं देखता
बस बुहार देता हैं कन्धा
शर्ट से धूल झाड़ कर.
रातों रात नहीं हैं लोग सोते
कि जैसे सोना कोई अपशकुन हो
कहते हैं कि ये शहर
सदियों से नहीं है सोया,
यहाँ भटकते हैं शिवाजी
म्यान में तलवार लेकर.
कि जैसे सोना कोई अपशकुन हो
कहते हैं कि ये शहर
सदियों से नहीं है सोया,
यहाँ भटकते हैं शिवाजी
म्यान में तलवार लेकर.
यहाँ लोग, माले पर माला, जोड़कर
इतनी ऊंची इमारतें, इतनी जल्दी
कुछ यूँ बना देते हैं
कि जैसे पिट्ठू खेलते वक़्त
हम बना देते थे फटाफट
पत्थरों के ऊंचे टावर.
इतनी ऊंची इमारतें, इतनी जल्दी
कुछ यूँ बना देते हैं
कि जैसे पिट्ठू खेलते वक़्त
हम बना देते थे फटाफट
पत्थरों के ऊंचे टावर.
तुम आओगी तो देखना
यहाँ बिजली से तेज चलने वाली
लम्बोर्गनी और फरारियां हैं
जो फ़रार हैं कब से,
फिर भी बस रेंग ही पाती हैं
किसी केंचुए की तरह
लम्बे ट्रैफिक जामों में फंसकर.
लम्बोर्गनी और फरारियां हैं
जो फ़रार हैं कब से,
फिर भी बस रेंग ही पाती हैं
किसी केंचुए की तरह
लम्बे ट्रैफिक जामों में फंसकर.
तुम आओगी तो देखना,
तुम भी हैरान हो जाओगी,
देखकर, कि यहाँ सब लोग
जल्दी में हैं, इतना
फिर भी समय पर
कोई, नहीं पहुँचता, यूँ भागकर.
तुम भी हैरान हो जाओगी,
देखकर, कि यहाँ सब लोग
जल्दी में हैं, इतना
फिर भी समय पर
कोई, नहीं पहुँचता, यूँ भागकर.
बम्बई भागता रहता है
इस क़दर,
फिर भी, इक ज़माने से
कहीं भी तो पहुँच नहीं रहा है.
कि ये जितना चलता-बढ़ता है,
उसे उतने ही क़दम पीछे
धकेल देता है, समंदर
लहरों के झाड़ू से झाड़कर.
इस क़दर,
फिर भी, इक ज़माने से
कहीं भी तो पहुँच नहीं रहा है.
कि ये जितना चलता-बढ़ता है,
उसे उतने ही क़दम पीछे
धकेल देता है, समंदर
लहरों के झाड़ू से झाड़कर.
तुम आओगी तो देखना
कि यहाँ नहीं है वो सुकून
जो रात भर मिलता था
तुम्हारी बाहों में
कि जब रुक जाता था सब कुछ
तुम्हारी गोदी में लेटकर
जो रात भर मिलता था
तुम्हारी बाहों में
कि जब रुक जाता था सब कुछ
तुम्हारी गोदी में लेटकर
तुम आओगी तो देखना
कि कभी न रुकने वाली
बम्बई में भी
मैं
रुक
गया
हूँ
तुमको
देखकर
ख़ुशी से
चौंक कर
कि कभी न रुकने वाली
बम्बई में भी
मैं
रुक
गया
हूँ
तुमको
देखकर
ख़ुशी से
चौंक कर
I think this one was more relatively than figuratively!
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