मैं जिसे
चाँद समझता था
वो 'पैबंद' निकला !
कर गया था रफ़ू, कोई
आसमां का दुपट्टा
हर वो चीज़, जिसे हम
छू नहीं सकते...
हसीं लगती है !
चाँद समझता था
वो 'पैबंद' निकला !
कर गया था रफ़ू, कोई
आसमां का दुपट्टा
हर वो चीज़, जिसे हम
छू नहीं सकते...
हसीं लगती है !
No comments:
Post a Comment