Thursday 8 May 2014

दो-सौ-बहत्तर

सुनो,
जब वो सब
पहाड़ के इस तरफ़
कुर्सी-कुर्सी जोड़ कर
सरकार बना रहे होंगे

मैं और तुम
पहाड़ के उस तरफ़
तिनका-तिनका जोड़ कर
चुपचाप
एक घोसला बना लेंगे

जब वो इधर,
जोड़-तोड़ से
चला रहे होंगें
अल्प मत की
सरकार

तब, उधर
हमारे घोसले में
पूर्ण बहुमत से
मैं तुम्हें रानी
घोषित कर दूंगा
और तुम भी, इतराकर
मान लेना मुझे
अपना यार

बेफ़िक्र करेंगे हम
वादियों में
गोताखारी
और न लौटेंगे कभी

इस पार

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