कितनी ज़िद्दी हो!
यूं इतने हक़ से
बार-बार
दिल-ओ-दिमाग़ पर
इस तरह पनप आती हो
जैसे चने पर 'स्प्राउट्स'
'नमी' बड़ी बुरी चीज़ है!
दो-चार बूँद भी मिल जाए
तो रेगिस्तान को
गुलिस्ताँ होते
देर नहीं लगती
यूं इतने हक़ से
बार-बार
दिल-ओ-दिमाग़ पर
इस तरह पनप आती हो
जैसे चने पर 'स्प्राउट्स'
'नमी' बड़ी बुरी चीज़ है!
दो-चार बूँद भी मिल जाए
तो रेगिस्तान को
गुलिस्ताँ होते
देर नहीं लगती
No comments:
Post a Comment