Thursday 11 September 2014

हम नहीं फसेंगे

तुम आईं
बिलकुल उस शातिर
बहेलिये की तरह,

जाल पसराते हुए

मैं आया,
बिलकुल उन बुद्धू
चिरइयों की तरह

बात दोहराते हुए

"बहेलिया आएगा
बहेलिया दाना डालेगा
हम नहीं फसेंगे"

"बहेलिया आएगा
बहेलिया दाना डालेगा
हम नहीं फसेंगे"

हाय!
हमारी क़िस्मत!

तुम आईं, तुमने,
दाना भी नहीं डाला
और हम
दीवानगी की हद में
पलकों के जाल में
पाँवड़े बिछाकर

भूखे ही फँस गए!

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