ये निखिल सचान का रफ़ रजिस्टर है....इसमें उस वक़्त की कविताएँ हैं, जब मुझे लिखने का ख़ास सलीका नहीं था और आज की बातें है, जब आज भी मैं सलीका सीख ही रहा हूँ !
काश ता-उम्र सीखता रहूँ और इसी शौक़ में ज़िंदगी गुज़र जाए
Wednesday, 8 July 2015
कमल दफतर चल
कमल दफतर चल नटखट मत बन इधर उधर मत कर घर-दफ्तर दफ्तर-घर रह-रह कर-कर मर !
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