"ज़रा देखो तो. इन्हें.
ये पागल चींटियाँ,
ख़ुद से हज़ार गुना भारी
बोझा ढोती फिरती हैं
दिन रात"
ये पागल चींटियाँ,
ख़ुद से हज़ार गुना भारी
बोझा ढोती फिरती हैं
दिन रात"
- एक चींटी की ओर
इशारा करते हुए
मैंने कहा.
इशारा करते हुए
मैंने कहा.
"प्रेम में पड़े लोग भी
इन जैसे ही होते हैं
अक्सर अपनी धुन में
बे-इन्तहा प्यार ढोते
आ जाते हैं
किसी के पाँव के नीचे"
इन जैसे ही होते हैं
अक्सर अपनी धुन में
बे-इन्तहा प्यार ढोते
आ जाते हैं
किसी के पाँव के नीचे"
- पैर बचाते,
मन मसोसते
उसने कहा
मन मसोसते
उसने कहा
This is so beautifully written. Can I share it on My Facebook wall
ReplyDeleteजी
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