ख़ुदा
तुझे 'मानना' तो छोड़ दिया
पर नहीं छोड़ पाया ये 'मानना'
कि 'नहीं मानता' हूँ तुझे
तुझे सोच से बेदखल कर
यही सोचता रह गया
कि तुझे ना सोचूँ
हर एक वक्त
चिढ़ के तुझे
आखिरी बार
ख़ुदाहाफ़िज़ भी कहा
तो कमबख्त ख़ुदाहाफ़िज़ में भी
'ख़ुदा' निकला
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