Friday, 30 August 2013

"बिस्मिल्लाह" का हस्ताक्षर

वो घड़ी-घड़ी 
नए-नए चेहरे बनाती हैं 
खुद से लिख लेती हैं 
मनपसंद लिखावट में 

बड़े 'आ' में चाँद बिंदी लगाकर 
बड़ी-बड़ी आँखें 
चेहरे की स्लेट पर, खूब जतन से 

और 'झ' से झपकना लिख कर 
मिचकाती रहती है पलकें 
आईने के सामने 

पर ध्यान से पढ़ो चेहरा, तो 
'प' से पगली ही लिखा मिलता है 
बच्चों की सी लिखावट में 

और साथ में
मास्टर साहब का लिखा हुआ
ठोड़ी के तिल जैसा 
"बिस्मिल्लाह" का हस्ताक्षर

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