ये सारा तमाशा,
'तीन-पांच'
और उन्माद
Identity का है
कुछ उसकी मौजूदगी का,
तो बाकी उसकी गैर-मौजूदगी का
मानने को जी नहीं चाहता
कि पांच बिलियन साल के 'Process' में
'अमीबा/प्रोटोजोआ' से तुम इंसान बने
तो उसके ही जैसे
Single Cell,
दिशाहीन,
रेंगते, बिल-बिलाते
ठीक ही कहा था मेरे इक दोस्त ने
Evolution और Existentialism
overrated है ....
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