Friday 30 August 2013

इस मर्तबा


इस मर्तबा
तुम मेरे सपनों में 
पतंग बन कर आना 

हम दोनों पतंगें
कुछ देर गलबहियां डाले
उलझते-ढीलते रहेंगे 

और फिर तुम 
मेरी कन्नी काटकर

मुझे,
उसके मांझे से 
'मुक्त' कर देना 

कुछ देर, आसमान में 
इंगे-उंगे भटक कर 
मैं, पक्का,
तुम्हारी ही बालकनी में 
आ गिरूंगा 

तुम, झट से मुझे 
लूट लेना 

इस मर्तबा

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