Friday 30 August 2013

मकान नम्बर सात

सुदूर उत्तर
कू-ए-यार
ख़ुर्शीद की बस्ती
मकान नम्बर सात
नीली हवेली
पेशे से कोई मुसव्विर
आंगन के पिछवाड़े
आकाश-गंगा का धोभी-घाट
मरासिमों के खंभों का बांधता
बिजली का एक नंगा तार
और उस पर..
निचोड़ कर टांगा हुआ
उसी मुसव्विर का एक
सीला सा तसव्वुर
चटकती सुबहो से
कल देर शब तक सूखता रहा
और धरती वाले
उसी की सीलन में
जी भर के भीगते रहे
कुछ धोखा सा हुआ है शायद
कि आज फ़िर
बेपनाह बारिश हुई है....

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