जब भी, इंसानों के ये 'पगले' से बच्चे
अपनी ही 'फ़कीरना' धुन में
चिड़ियों के नादान चूज़ों की तरह
किलकारी सी भरते हैं
मिनट-दो-मिनट को ही सही
मेरी 'हाँफती' सी उम्मीद
शुक्र मंद हो लेती है
'ब्यूबोनिक' प्लेग-डसी आस्था
चमा-चम,
यका-यक ,
सेहत मंद हो लेती है
शायद,
दुनिया की 'हरमज़दगी' से,
बच्चों जैसा अनजान होना
आख़िरी बची, पाक, 'नेमत' है
बड़े होकर,
पढ़-लिख कर
एक दिन,
वो भी
सिर्फ 'गंद' हो लेती हैं
हुनर मंद हो लेती है
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