Friday 30 August 2013

'हैप्पी फादर्स डे'

अरे मियाँ "पिता जी"
तुम्हारे चंट-चालू लौंडे 
"लिटरली"
तुम्हारी पतलूनें 
एक-एक बिलांग छोटी कर-कर के
सिलवाते रहे अपने लिए 
जींसें और बेल-बौटम 
और तुम्हें थमाते गए 
"बरमूडे" 

तुम्हें भनक भी न लगी....

कल के चंगू-मंगू 
आज के बाबू साहेब हो लिए 

और तुम रह गए
"पिता जी" के "पिता जी" ही

ओल्ड फैशंड ग्रामो फ़ोन की तरह
आँगन के कोने में,
बजते
'लूप' में लगे, 
'बेटा-बेटा' की प्ले-लिस्ट रटते

आज भी आएँगे  
रमेश और सुरेश
जब अपनी कैंची जैसी 
कतरन्नी जुबान से 
'हैप्पी फादर्स डे' कहने
तो फंसना मत उनकी चाल में 

बरमूडा भी क़तर ले जाएँगे 
एक और बिलांग 

और रह जाओगे 
हाशिए पर 

अपने 
जांघिए के साथ  

शर्मिंदा

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