हमारे भीतर
एक बच्चा हुआ करता है
और एक हरामी भी.
कितना भी पाल लो
बच्चा,
पाले नहीं पलता
और हरामी,
मारे नहीं मरता
तुम बच्चे को
पौधे की तरह
जितना भी पालते हो
हरामी, बगल की
खरपतवार की तरह
उसका हिस्सा चूस-चूस कर
बे-मौसम, बिन-बरसात
जिंदगी की बहार लूटता रहता है
हरामी पाले नहीं जाते
हरामी खुद-ब-खुद पल जाते हैं
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