Friday 30 August 2013

ज़िन्दगी बड़ी तुनक-मिजाज़ हो गई

वास्ते तेरे ही भागता रहा हूँ मैं
उनींदी आखें रात जागता रहा हूँ मैं
फिर भी तू रही है मुझसे क्यूँ ख़फा खफ़ा
बिला-वजह, क्यूँ ज़िन्दगी, हर-एक-दफ़ा

ज़िन्दगी बड़ी तुनक-मिजाज़ हो गई
मोजज़ा हुआ की यूँ मजाज़ हो गई 

खुद से ज़ादा तुझे चाहता रहा हूँ मैं
हर-एक-इशारे तेरे नाचता रहा हूँ मैं
तुझे बस दिखा कहाँ पे हो रहा नफ़ा
अठन्नियों के बदले तौल दी किलो वफ़ा

ज़िन्दगी बड़ी तुनक-मिजाज़ हो गई
मोजज़ा हुआ की यूँ मजाज़ हो गई 

तेरे पीछे-पीछे हांफता रहा हूँ मैं
जीत जाए तू, हारता रहा हूँ मैं
मेरी हर-एक-दलील कर दी क्यूँ रफ़ा-दफ़ा
सोच के तो देखती मेरा भी फ़लसफ़ा

ज़िन्दगी बड़ी तुनक-मिजाज़ हो गई
मोजज़ा हुआ की यूँ मजाज़ हो गई 

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