Friday 30 August 2013

बेसर

मेरी सोनजुही-पीला केसर
मेरी छनक धनक की नथ बेसर
मेरी अंखियों बसी,घुली हैरानी
बतियन मिसरी, दादी, 'नानी'

चटक रंग अल्हड़ छोरी
मेरे प्यार पगी कोरी कोरी
मेरी एक ख़ुदा , मेरी एक ख़ुदाई
मीर गज़ल , खैय्याम रुबाई

ओस-पलाशों की ओ छिटकन
मन्नत-मिन्नत-आलिंगन

तू जैसी है वैसी ही बनकर
पोने पोने पैरों चलकर

बिना तकल्लुफ़, बिना अर्ज़
बस हिया लगाए एक मर्ज़
बस धड़कन की ही तर्ज़-तर्ज़
दो चुम्बन प्यारे खर्च-खर्च

मेरे होंठो पर सिलने आ जा
सब छोड़ छाड़ रहने आ जा
'वो' कानों में कहने आ जा
तू जैसी है वैसी बनकर..
सब छोड़ छाड़ रहने आ जा ...

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