चेहरा कोई चूमे हुए, अरसा गुज़र गया
सब याद है, भूले हुए, अरसा गुज़र गया
घर से निकलके रोज़, अपने घर ही लौटना
रस्ता कोई भूले हुए, अरसा गुज़र गया
न तू करे शिकायतें, न मैं गिला करूँ
बाहों में टूटते हुए, अरसा गुज़र गया
बुतों में, मूरतों में, हरेक भेस में आया
मौला तुझे, मौला हुए, अरसा गुज़र गया
क्या ख़ूब कायदे से, धड़कता है दिल मेरा
रुका नहीं, थमे हुए, अरसा गुज़र गया
ये चाँद, ज्यों-का-त्यों, यूं आसमान में रहा
मामा से मिलता भांजा, अरसा गुज़र गया
घर से निकलके रोज़, अपने घर ही लौटना
ReplyDeleteरस्ता कोई भूले हुए, अरसा गुज़र गया
वाह वाह सर आपके कलम में जादू है :)
great work.. i am a fan of this poem ..
ReplyDeleteamazing work sir.... kya behtareen alfaz chune hain aapne... wah!!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebanate the bachpan mein kagaz ki khastiyan
ReplyDeleteab to barish mein chale arsa guzar gaya .................